Saturday 14 February 2015

High Blood Pressure / Low Blood Pressure (कोलेस्ट्रोल / उच्च रक्तचाप और निम्न रक्तचाप)

कोलेस्ट्रोल / उच्च रक्तचाप और निम्न रक्तचाप

(CHOLESTEROL / HIGH & LOW BLOOD PRESSURE) 

उपाय :
1) शुद्ध शहद और प्याज का रस समान मात्रा में 2 चम्मच (10 ग्राम) प्रतिदिन 1 बार लेने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है। प्याज का रस रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करके हार्ट (<3) का दौरा आने से रोकता है। रक्त साफ़ करना, पाचनक्रिया में लाभदायक है।

2) तरबूज के बीजो की गिरी और खसखस थोड़ा थोड़ा समान मात्रा में लेकर रख ले। इसे 3 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार सुबह और शाम को खालीपेट सेवन करने से उच्च रक्तचाप में फायदा होता है।

3) कच्चे लहसुन के 2-3 कलियों को छीलकर उसके बाद कली के टुकड़े करके थोड़े पानी के साथ चबाचबाकर खा लेना है या फिर निगल लीजिये। यह क्रिया सुबह खाली पेट करनी  है। यह क्रिया रक्त में कोलेस्ट्रोल को कम करता है और रक्तचाप कम करता है।

4) तुलसी की पत्ती 4 नग, नीम की पत्तिया 3 नग 4 चम्मच पानी के साथ घोटकर 6 दिन खली पेट लेना है ऐसा करने से उच्च रक्तचाप कम होता है।

5) किशमिश 30 नग लेकर चीनी मिटटी के कप में 150 मिली पानी में भिगो के रख दे। 10-12 घंटे भिगो के रखने के बाद सुबह उठकर 1-1 किशमिश को अच्छे से चबाचबाकर प्रत्येक किशमिश को 30 बार चबाने से निम्न रक्तचाप पे लाभ मिलता है। जिंदगीभर इससे मुक्ति पाने के लिए 32 दिन यह क्रिया जारी रखे।

6) निम्न रक्तचाप से तुरंत लाभ मिलने के लिए बोलना बंद कर दे और चुपचाप बाई करवट लेकर लेट जाये। नींद आने से निम्न रक्तचाप तत्काल ठीक हो जाता है।

7) निम्न रक्तचाप में गाजर के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से और उच्च रक्तचाप में केवल गाजर का रस पिने से तुरंत लाभ मिलता है।

आयुर्वेदा जड़ी बूटी

Sunday 8 February 2015

Nighfall (स्वप्नदोष)

जामून कि गुठलीया जमा कर के रखे…. जामून कि गुठलीया सुखने के बाद उसका चूर्ण बना ले… यह चूर्ण ३ ग्राम सुबह और श्याम को रोज खाने से स्वप्नदोष कि शिकायत दूर होती है…

Kidney Stone / Bladder Stone (पथरी के लिए रामबाण इलाज)

पथरी के लिए रामबाण इलाज
गुर्दे की पथरी और मूत्राशय की पथरी में रामबाण इलाज के लिए यह पोस्ट है। आप सभी बिना ऑपरेशन के इस बीमारी से छुटकारा पा सकते हो।

उपाय :
२५० ग्राम साफ़ कंकर रहित कुल्थी लेकर ३ लीटर शुद्ध पानी में रातभर भिगोकर रख दे। सुबह उठने के बाद कुल्थी के साथ ही उस पानी को धीमी आंच पर कम से कम ३-४ घंटे तक पकाये। जब १ लीटर पानी बच जायेगा तब उसे उतारकर और उसके बाद पाचन शक्ति के अनुसार ३० ग्राम लेकर उसके बाद ५० ग्राम देसी घी का उसमे थोडासा जीरा, सेंधा नमक, हल्दी, काली मिर्च का तड़का लगाए ऐसा करने से एक सूप आप के पास तैयार हो जायेगा।

दवाई लेने का समय : 
इस दवा को दिन में एक बार दोपहर में 1 बजे के आसपास भोजन के स्थान पर २०० ग्राम सूप पिजाये।  १ या २ हप्ते में आप की दोनों प्रकार की पथरी बिना चीरफाड़ के बहार निकल जाएगी।  यह एक आजमाया नुस्खा है जरूर करके देखे और अपना सुखी जीवन जिए।  (सूचना - जब तक पथरी बहार न निकले तब तक ये प्रयोग निरंतर करे। इससे आप को कोई नुकसान नहीं होगा।)

क्या खा सकते है ?
जिस व्यक्ति को पथरी की बीमारी है वो कुल्थी, खीरा, तरबूज़ के बिज, चावलयि का साग, मूली, आवला, बथुवा, जौ, अनानस, गोखरू, मूंगदाल लाभदायक है।

क्या ना खाए ?
पालक, टमाटर, बैगन (बिज़युक्त फल और सब्जिया), चावल, उड़द, सूखे मेवे, चाय, चॉकलेट, मांसाहार, मद्यपान बीमारी के लिए हानिकारक है।

आवश्यक सूचनाये :
१) दिन में कम से कम ८-१० लीटर पानी पीना है।
२) पेशाब को रोकना नहीं है।
३) बहुत देर तक एक ही जगह बैठना नहीं है
४) चुना न खाए  

Premature Ejaculation (शीघ्रपतन)

पुरुष द्वारा स्त्री को संतुष्ट किए बिना उद्वेग के चरम क्षणों में स्खलित हो जाना, शीघ्रपतन कहलाता है| इसका मुख्य कारण हीन भावना तथा आत्मविश्वास की कमी होता है| ऐसे व्यक्ति को मन में कामुकता का विचार नहीं रखना चाहिए|कारणस्त्री से अधिक सम्भोग करने, हस्तमैथुन की आदत, पुष्टिकारक भोजन की कमी, जननेन्द्रिय सम्बंधी रोग, मदिरापान तथा अन्य नशीली चीजों का सेवन शीघ्रपतन रोग के कारण बन जाते हैं|पहचानपुरुष स्त्री से सम्भोग करने से पहले या कुछ ही समय बाद वीर्यापात कर बैठता है| शीघ्रपतन के कारण पुरुष को स्त्री के सामने लज्जित होना पड़ता है, क्योंकि स्त्री संतुष्ट नहीं हो पाती| धीरे-धीरे व्यक्ति की शारीरिक शक्ति भी क्षीण हो जाती है| वह स्त्री से प्यार करने, उसे चिपटाने या चुम्बन लेने मात्र से ही स्खलित हो जाता है| ऐसे पुरुषों की स्त्रियों को बहुत कष्ट उठाने पड़ते हैं| कई बार वे अन्य पुरुषों से अवैध सम्बंध स्थापित कर लेती हैं|

नुस्खे
1) प्रतिदिन सुबह के समय दो छुहारे चबाकर ऊपर से आधा किलो गाय का दूध पीना चाहिए|
2) ईसबगोल, खसखस और मिश्री - सब 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर सेवन करें| ऊपर से दूध पी जाएं|
3) दो चम्मच प्याज के रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह के समय खाली पेट लेना चाहिए| 
4) तुलसी के पौधे की जड़ का चूर्ण चौथाई चम्मच घी में मिलाकर लें|
5) कौंच के बीज तथा तालमखाना - दोनों के 5-5 ग्राम चूर्ण दूध या मिश्री के साथ सेवन करें|
6) प्रतिदिन चाय के साथ लहसुन की 10 बूंदें सेवन करें| ऊपर से आधा किलो दूध पिएं| 
7) लहसुन सेक्स सम्बंधी सभी प्रकार के रोगों के लिए रामबाण है|
8) मूली के बीजों को तेल में मिलाकर औटा लें| फिर इस तेल से शरीर की मालिश करें|
9) बबूल के चार-पांच पत्ते तथा 5 ग्राम गोंद पानी में भिगोकर मसल डालें| फिर उनको पानी सहित पी जाएं| ऊपर से दूध का सेवन करें|

Hairfall /Hair loss (बालो को झड़ने से कैसे रोके ???)

बालो को झड़ने से कैसे रोके ???
१) निम्बू के रस से बालो की मालिश करने से और बाद में बाल धो देने से बालो का झड़ना काम हो  जाता है।

२) सूखे आमले को रात को भिगोके रख दीजिये। सुबह नहाने से पहले उस पानी से बालो को धोना है। इससे बालो की जड़े मजबूत होती है।

३) नीम और बेर के पत्तो को पानी में उबाल लेना चाहिए। इस पानी से बालो को धोने से बालो का झड़ना रुक जाता है। 

Diabetes (शुगर की बीमारी (मधुमेह)

मधुमेह की घर बैठे जाँच करने का सरल उपाय जो की सभी को पता होगा।  दोस्तों सुबह उठाने के बाद आप को घर के आँगन में एक कोने में जहा आप को कोई देख न सके और ऐसे स्थान पर लघुशंका करनी है। शघुशंका करने के बाद पानी न डाले और घर में आकर अपना काम करे। २-३ घंटे बाद अगर पेशाब किये स्थान पर चीटिया दिख जाये तो समाज जाये आप को शुगर है। और वह चीटिया ना दिखे तो समाज जाये आप को शुगर नहीं है।

शुगर (मधुमेह) के लिए कुछ औषधियां :
१) 3 ग्राम  बबुल के शुद्ध गोंद का चूर्ण दूध के साथ खाने से बहोत लाभ मिलता है।

२) बेल के जड़ो को कूटकर चूर्ण बना लीजिये और छानकर रख दीजिये। १ चम्मच चूर्ण लेकर उसमे आधा चम्मच बेल के पत्तो का रस मिलाकर सुबह खाली पेट और शाम को खाली पेट खानी है। (५ दिन)

३) अमलतास के थोड़े से गुदे को लेकर गरम करे और उसकी मटर के दाने इतनी गोलिया बनाये। २ गोली सुबह और २ गोली शाम को खाली पेट लेने से शुगर में आराम होगा।

४) २ लहसुन की पुत्तियों का रस बेल के पत्तो के रस के साथ सुबह के समय सेवन करने से आराम होता है।

५) ६ ग्राम पाषाणभेद, ४० मिली हरी तजि गिलोय का रस और ६ ग्राम असली शहद के साथ १ माह तक सेवन करने से शुगर की बीमारी जड़ से मिट जाती है (अनुभवी नुस्खा है)

Friday 6 February 2015

छोटी छोटी बीमारियो पे घर में ही होगा इलाज

गैस:
पेट में जब गैस भर जाती है तो बहुत दर्द होता है। ऐसी स्थित में पिसी हुई हल्दी और नमक 5-5 ग्राम की मात्रा में पानी से लें।
हल्दी और सेंधानमक को पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

घाव में कीड़े:
घाव पर पिसी हुई हल्दी लगाने से ही घाव के कीड़े मर जाते हैं और घाव भी जल्द भर जाता है।
घबराहट:
घबराहट हो तो हल्दी और नमक को गर्म पानी में घोलकर पियें और खांसी अगर पुरानी हो तो हल्दी के 4-चम्मच हल्दी में आधा चम्मच शहद मिलाकर खाएं।
कफ:
आधा चम्मच हल्दी की फंकी गर्म दूध के संग लेने से कफ निकल जाता है। कफ (बलगम) जम जाने के कारण सांस लेने मे छाती कांपती हो तो गाय के मूत्र में थोड़ी-सी हल्दी मिलाकर पिलाना कफ (बलगम)-खांसी में फायदेमंद होता है।
श्लेश्मा, रेशा गिरता हो तो आधा चम्मच हल्दी की फंकी गर्म दूध से लेना चाहिए। जुकाम, दमा में कफ (बलगम) गिरता हो तो रोज तीन बार 2 ग्राम हल्दी की फंकी गर्म पानी से लेना चाहिए।
जलन:
हल्दी को पानी में घोलकर जले हुए स्थान पर लेप लगायें सूखने पर बार-बार लेप करें इस प्रयोग से जले हुए में लाभ होता है।
स्तनों में सूजन या गांठ:
हल्दी पाउडर को ग्वारपाठे के रस में मिलाकर व उसे गर्म करके स्तनों पर लेप करें इससे स्तनों की सूजन व गांठों में लाभ पहुंचेगा।
स्तनों में दर्द:
हल्दी की गांठ को पानी में घिसे और स्तनों में लेप करें। इससे स्तनों का दर्द दूर हो जाता है।
कण्ठमाला (गले की गांठे):
8 ग्राम हल्दी की फंकी सुबह-शाम दो बार कम से कम जरूर लें।
हल्दी की गांठ को पत्थर पर घिसकर लगाएं। इसे कुछ दिनों लगातार प्रयोग करें। इसे गले की गांठे ठीक हो जाती हैं।
8 ग्राम हल्दी की फंकी रोजाना सुबह और शाम दो बार लेने से कण्ठमाला रोग (गले की गांठे) ठीक हो जाता है।
दाद:
दाद पर दिन में 3-बार और रात को सोते समय हल्दी का लेप करने से दाद ठीक हो जाता है।
खुजली:
शरीर के पीले रंग के दाने जिसमें मवाद भरी हो और उनमें खुजली हो तो, एक चम्मच हल्दी, एक कप गर्म दूध, चौथाई चम्मच देशी घी, स्वाद के लिए शक्कर डालकर सुबह शाम पियें।
250 मिलीलीटर सरसों के तेल में दूब का रस 500 मिलीलीटर, 250 ग्राम हल्दी को पीसकर सबको लोहे की कड़ाही में डालकर मिला लें तथा गर्म करें। जब उबलने लगे तो उसे छानकर बोतल में भर लें और खुजली होने पर इसे लगाकर मलें। इससे खुजली कुछ दिनों में ठीक हो जायेगी।
शरीर पर काले दाग धब्बे:
हल्दी की गांठों को पानी में घिसकर लेप करना चाहिए।
जुकाम या दमा:
कफ गिरता हो तो रोज तीन बार 3 ग्राम हल्दी की फंकी गर्म पानी से लें। जुकाम होने पर हल्दी को आग पर डालकर उसका धुंआ सूंघने से ठीक हो जाता है। हल्दी को बालू में सेंककर पीसकर एक चम्मच की मात्रा में दो बार पानी से लें। हल्दी हर प्रकार के सांस रोग में फायदेमंद है। ठंड लगने से अगर जुकाम हुआ है तो एक चम्मच हल्दी को एक कप गर्म दूध के साथ सेवन करने से जुकाम नष्ट हो जाता है। हल्दी की गांठ को हल्का पानी डालकर पीसे उसे गर्म करके माथे पर लगायें यह जुकाम में फायदा करेगा।

दांत दर्द

दांत दर्द:
हल्दी, नमक और सरसों का तेल मिलाकर रोज मंजन करें। इससे दांत मजबूत बनेंगे। हल्दी को आग पर भूनकर बारीक पीस लें। इससे उस दांत को मले जिसमें दर्द हो, इससे दांतों के कीड़े मर जाते हैं। केवल हल्दी का टुकड़ा दांतों के बीच दबाने से भी लाभ पहुंचता है। हल्दी और हींग दोनों को पीसकर जरा-सा पानी डालकर गोली बना लें और जिस दांत में दर्द हो उसके नीचे इसे दबा लें। इससे दांतों का दर्द दूर हो जाता है। नमक, हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर दांतों व मसूढ़ों पर दिन में 2 से 3 बार मलें। इससे दांत मजबूत होते हैं एवं दर्द दूर होता है।

हड्डी के टूटने पर

हड्डी के टूटने पर:
हड्डी के टूटने पर रोज हल्दी का सेवन करने से लाभ मिलता है। एक प्याज को पीसकर एक चम्मच हल्दी मिलाकर कपड़े में बांध लें। इसे तिल के तेल में रखकर गर्म करें और इससे फिर सेंक करें। कुछ देर सेंकने के बाद पोटली खोलकर दर्द वाले स्थान पर बांध दें।
हड्डी टूटने पर हल्दी का रोज सेवन करने से लाभ होता है।
हड्डी टूट जाने पर प्लास्टर लगाकर एक बार की टूटी हड्डी तो जल्द ही ठीक हो जाती है मगर जो हड्डी बार-बार टूटी हो उसमें जगह बनने से पानी जमने, सड़ने की संभावना हो सकती है। पिसी हुई हल्दी 1 छोटी चम्मच, एक चम्मच-भर पुराना गुड़ जोकि 1 साल पुराना हो और देशी घी 2 चम्मच-भर लेकर तीनों को 1 कप पानी में उबालें। जब उबलते-उबलते पानी आधा ही रह जाये, तब इसे थोड़ा ठण्डाकर पी जायें। इस प्रयोग को केवल 15 दिन से 6 महीने तक करने से लाभ नज़र आ जायेगा।

गर्भ न ठहरता हो तो?

गर्भ न ठहरता हो तो?
पुरुष द्वारा समागम के पश्चात् स्त्री को गर्भ न ठहरना बांझपन कहलाता है| वस्तुत: स्त्री पूर्णता तभी प्राप्त करती है, जब वह मां बनती है| जो स्त्री विवाहोपरांत मातृत्व-सुख से वंचित रहती है, वह समाज में तिरस्कृत नजरों से देखी जाती है| परंतु ऐसा नहीं है की वह मां न बन सके| यदि उचित उपचार किया जाए तो बांझ स्त्री भी मां बन सकती है|कारणस्त्रियों को कुछ विशेष कारणों से गर्भ नहीं ठहरता| शारीरिक कमजोरी, जरायु में गांठ, जरायु का टेढ़ा होना, योनि का छोटी होना, मासिक धर्म में गड़बड़ी, बहुत अधिक सम्भोग, जननेन्द्रिय की बीमारी, शरीर में चर्बी का बढ़ जाना आदि स्थितियों में संतान उत्पन्न करने की शक्ति नहीं रहती|पहचान इस रोग में स्त्री को मासिक धर्म ठीक से नहीं होता| ऐसा लगता है, जैसे गर्भ में सुइयां चुभ रही हों| कभी-कभी गर्भाशय में पीड़ा भी होती है| सम्भोग करते समय सब-कुछ ठीक-ठाक रहने पर भी गर्भ नहीं ठहरता| गर्भ ठहरने का मार्ग बहुत खुश्क, कमजोर तथा खुजली पैदा करने वाला रहता है| गर्भ में फुंसी, जलन, सूजन आदि भी मालूम पड़ती है| 

नुस्खे 
1) यदि गर्भाशय में किसी प्रकार की खराबी हो तो एक चम्मच मेथी के चूर्ण में थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर प्रतिदिन खाना चाहिए| कुछ ही दिनों में गर्भाशय ठीक हो जाएगा| 

2) गूलर की जड़ की छाल का काढ़ा एक कप की मात्रा में रोज पीने से काफी लाभ होता है| गर्भ न ठहरने पर प्रतिदिन दो बार सौंफ का अर्क पिएं| यदि गर्भ न ठहरता हो तो मोठ की चपाती खानी चाहिए|

3) प्रतिदिन स्त्री को चुकंदर का रस दो चम्मच की मात्रा में सुबह निहार मुंह पीना चाहिए| 6 ग्राम सौंफ का चूर्ण देशी घी के साथ तीन माह तक सेवन करें| निश्चित ही गर्भधारण हो जाएगा| यदि स्त्री मोटी हो तो 6 ग्राम शतावर का चूर्ण 12 ग्राम घी तथा दूध के साथ खाने से गर्भ ठहर जाता है|

4) नागदमी बूटी को गाय के घी में मिलाकर योनि के भीतर लेप करें| इससे बंधत्व की खराबी दूर होती है| यह कार्य स्त्री को 40 दिन करना चाहिए| बरगद की जटा धोकर छाया में सुखा-पीस लें| मासिक धर्म के दिनों में यह चूर्ण रोज दो चम्मच की मात्रा में ठंडे पानी से 5-6 दिन तक सेवन करें| इससे गर्भधारण करने की शक्ति आ जाती है|चार चम्मच सरसों पीसकर रख लें| मासिक धर्म शुरू होने के चौथे दिन से एक चम्मच रोज फंकी मारकर पानी पी लें| गर्भ ठहर जाएगा|

5) मासिक धर्म की अवधि में असगंध का काढ़ा बनाकर पीने से भी संतानोत्पत्ति की शक्ति आ जाती है|स्त्री को निहार मुंह बकरी के दूध का सेवन करना चाहिए|सुपारी तथा नागकेसर 10-10 ग्राम की मात्रा में कूट-पीसकर कपड़छन कर लें| इसमें से 6 माशे यानी एक चुटकी चूर्ण प्रतिदिन स्त्री को देना चाहिए| इससे गर्भाशय के विकार निकल जाते हैं और स्त्री को गर्भ ठहर जाता है|

वात रोग

सभी प्रकार के वात रोग
अजमोद 10 ग्राम, वायबिडंग 10 ग्राम, पीपला की जड़ 10 ग्राम, सौफ 10 ग्राम, चित्रक 10 ग्राम, पीपल 10 ग्राम, काली मिर्च 10 ग्राम, विधारा 100 ग्राम, हरड़ 100 ग्राम, 100 ग्राम शुंठी इन सब का चूर्ण 6 ग्राम पुराने गुड के साथ गर्म पानी के साथ 3 समय लेना है सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करने से सूजन, जोड़ो के दर्द, आमवात, पीठ और जांघ का दर्द और सभी प्रकार के वात रोग बैठ जाता है।

पित्त की पथरी

पित्त की पथरी :
अजमोद ३ ग्राम, १ ग्राम जवाखार मूली के पत्तो के साथ पीसकर रस निकाल लीजिये और रोज सुबह १ कप सुबह शाम १५ दिन तक सेवन करने से पित्त की पथरी में लाभ होता है। (गर्भवती और मिर्गी के रोगी इस दवाई न ले)

Body Pain (बदन दर्द)

बदन दर्द :
अजमोद को तेल में उबालकर उस तैल से मालिश करने से बदन दर्द कम हो जायेगा।  अगर अजमोद के पत्तो को बिस्तर पर बिखरा के उसके ऊपर मरीज को लिटा दिया जाये और ऊपर से चादर ओढ़ी जाये तो बदन दर्द में लाभ होता है।

Wednesday 4 February 2015

नपुंसकता का उपचार (Impotence Treatment)

नपुंसकता का उपचार (Impotence Treatment)

1. अफीम
सफेद संखिया तथा शुद्ध अफीम- इन दोनों को 15-15 ग्राम की मात्रा में लेकर 5 लीटर गाय के दूध के अंदर अच्छी तरह से मिलाकर इसके अंदर दही का जामन देकर इसे जमाने के लिए रख दें। सुबह होने के पश्चात इस दही को अच्छी तरह से बिलोकर इसका मक्खन निकाल लें।
इसके बाद इस निकाले हुए शुद्ध घी को एक चावल के दाने के बराबर लेकर पान के साथ खाने से तथा लिंग के अग्र भाग (टोपी) को छोड़कर लिंग पर लगाने से नपुंसकता समाप्त हो जाती है।

2. पीपल की छालः-
पीपल की छाल, जड़ व कोपलें तथा फल- इन चारों को आधा लीटर गाय के दूध में अच्छी तरह से पका कर इस दूध को छान लें। इसके बाद इस दूध में 25 ग्राम देशी खांड या पीसी हुई मिश्री तथा 15 ग्राम शुद्ध शहद को मिलाकर लगभग 3 से 4 महिनों तक इस दूध को रोगी को पिलाए, इस दूध को पीने से सेक्स करने की ताकत बहुत अधिक बढ़ जाती है और लिंग के होने वाले अन्य रोग भी समाप्त हो जाएंगे।

3. सफेद प्याजः-
सफेद प्याज के 10 ग्राम रस को 5 ग्राम शुद्ध शहद के अंदर मिलाकर सुबह और शाम दोनों समय रोजाना खाते रहने से रक्त के दोष के कारण उत्पन्न नपुंसकता समाप्त हो जाती है।

4. मुलहटीः-
मुलहटी के चूर्ण के अंदर शुद्ध घी और शहद को समान मात्रा में मिलाकर खाने से और उसके ऊपर से चीनी मिला हुआ मीठा दूध पीने से शुक्राणुओं की कमी से आई नपुंसकता खत्म हो जाती है।

5. जायफलः-
जायफल, केशर और जावित्री- इन तीनों को 1 से 2 ग्राम की मात्रा में लेकर 15 ग्राम मीठे बादाम के तेल में खूब बारीक कूट-पीसकर लिंग पर लेप करने से तथा पान में रखकर खाने से अप्राकृतिक ढ़ग से किया हुआ मैथुन से पैदा हुई नपुंसकता समाप्त हो जाती है। लिंग के अंदर बहुत ही अधिक ताकत आती है।
अगर पुरुष के अंदर नपुंसकता मानसिक है और उसके अंदर शारीरिक रूप से किसी भी तरह की कोई कमी के न होते हुए भी उस पुरुष को यह हीन भावना आ जाती है कि वह यह सोचता है कि मैं कोई काम कर काम कर पाऊंगा या नहीं, या किसी तरह का कोई डर, मन के अंदर किसी प्रकार का कोई संकोच, अकेले रहने की कमी, अपने मित्रों के साथ सम्मान या नफरत के देखना, सेक्स के प्रति कमजोरी होने से लिंग (शिश्न) में किसी भी तरह की कोई उत्तेजना न होना। लिंग के अंदर पूर्ण रूप से तनाव न हो पाने के कारण कई बार पुरुष अपने आप को सेक्स करने के काबिल नहीं समझता है। अगर उसके ये विकार (कारण) समाप्त कर दिए जाए तो उसे सेक्स क्रिया करने में रुचि अपने आप ही पैदा हो जाएगी तथा अगर नपुंसकता के रोग को अपने जीवन साथी का साथ मिल जाए, आंनद्दित वातावरण और संभोग क्रिया करने में सफल होने का पक्का विश्वास उत्पन्न हो जाए तो वह पुरुष सेक्स करने में सफल हो जाएगा

घरेलू नुस्खे

घरेलू नुस्खे

* कांच या कंकर खाने में आने पर ईसबगोल भूसी गरम दूध के साथ तीन समय सेवन करें।
* घाव न पके, इसलिए गरम मलाई (जितनी गरम सहन कर सकें) बांधें।
* तुतलापन दूर करने के लिए रात को सोने से पांच मिनट पूर्व दो ग्राम भुनी फिटकरी मुंह में रखें।
* बच्चों का पेट दर्द होने पर अदरक का रस, पांच ग्राम तुलसी पत्र घोटकर, औटाकर बच्चों को तीन बार पिलाएं।
* सर्दियों में बच्चों की सेहत के लिए तुलसी के चार पत्ते पीसकर 50 ग्राम पानी में मिलाएं। सुबह पिलाएं।
* आमाशय का दर्द तुलसी पत्र को चाय की तरह औटाकर सुबह-सुबह लेना लाभदायक।
* सीने में जलन हो तो पावभर ठंडे जल में नीबू निचोड़कर सेवन करें।
* शराब ज्यादा पी ली हो तो छह माशा फिटकरी को पानी/दूध में मिलाकर पिला दें या दो सेबों का रस पिला दें।
* अरहर के पत्तों का रस पिलाने से अफीम का नशा कम हो जाता है।
* आधी छटांक अरहर दाल पानी में उबालकर उसका पानी पिलाने से भांग का नशा कम हो जाता है।
* केला हजम करने के लिए दो छोटी इलायची काफी होती है।
* आम ज्यादा खा लिए हों तो हजम करने के लिए थोड़ा सा नमक सेवन कीजिए।
* मुंह से बदबू आने पर मोटे अनार का छिलका पानी में उबालकर कुल्ले करें।
* मछली का कांटा यदि गले में फंस जाए तो केला खाएं।
* हिचकी आने पर पोदीने के पत्ते या नीबू चूस लें।
* वजन घटाने हेतु गरम जल में शहद व नीबू मिलाकर सेवन करें।
* कान/दांत दर्द, खांसी व अपचन में जीरा व हींग 1/1-2 मात्रा में सेवन करें।
* जख्मों पर पड़े कीड़ों का नाश करने के लिए हींग पावडर बुरक दें।
* दाढ़ दर्द के लिए हींग रूई के फाहे में लपेटकर दर्द की जगह रखें।
* शीत ज्वर में ककड़ी खाकर छाछ सेवन करें। शराब की बेहोशी में ककड़ी सेवन कराएं।
* वजन घटाने हेतु गरम जल में शहद व नीबू मिलाकर सेवन करें।
* कान/दांत दर्द, खांसी व अपचन में जीरा व हींग 1/1-2 मात्रा में सेवन करें।
* जख्मों पर पड़े कीड़ों का नाश करने के लिए हींग पावडर बुरक दें।
* दाढ़ दर्द के लिए हींग रूई के फाहे में लपेटकर दर्द की जगह रखें।
* शीत ज्वर में ककड़ी खाकर छाछ सेवन करें। शराब की बेहोशी में ककड़ी सेवन कराएं।

पेट में दर्द

पेट में दर्द हो, आद्यमान हो तो जायफल के तेल की 2-3 बूंद शकर में या बताशे में टपकाकर खाने से फौरन आराम होता है। इसी तरह दांत में दर्द होने पर जायफल के तेल में रूई का फाहा डुबोकर इसे दांत-दाढ़ के कोचर में रखने से कीड़े मर जाते हैं और दर्द दूर हो जाता है। इस तेल में वेदना स्थापना करने का गुण होता है, इसलिए यह तेल उस अंग को थोड़े समय के लिए संज्ञाशून्य कर देता है और दर्द का अनुभव होना बंद हो जाता है

जोड़ों का दर्द

शरीर के जोड़ों में दर्द होना गठिया यानी सन्धिवात रोग का लक्षण होता है। गठिया के अलावा चोट, मोच और पुरानी सूजन के लिए जायफल और सरसों के तेल के मिलाकर मालिश करने से आराम होता है। इसकी मालिश से शरीर में गर्मी आती है, चुस्ती फुर्ती आती है और पसीने के रूप में विकार निकल जाता है।

दूध पाचन

शिशु का दूध छुड़ाकर ऊपर का दूध पिलाने पर यदि दूध पचता न हो तो दूध में आधा पानी मिलाकर, इसमें एक जायफल डालकर उबालें। इस दूध को थोडा ठण्डा करके कुनकुना गर्म, चम्मच कटोरी से शिशु को पिलाएं, यह दूध शिशु को हजम हो जाएगा।

त्वचा की झाइयां

पत्थर पर पानी के साथ जायफल को घिसें और लेप तैयार कर लें। इस लेप को नेत्रों की पलकों पर और नेत्रों के चारों तरफ लगाने से नेत्र ज्योति बढ़ती है, चेहरे की त्वचा की झाइयां और धब्बे आदि दूर होते हैं। लगातार कुछ दिनों तक लेप लगाना चाहिए।

नपुंसकता :

नपुंसकता : 
जायफल को घिस कर दूध में मिलाकर हफ्ते में तीन दिन पीने से नपुंसकता की बीमारी दूर होती है। यौन शक्ति बढ़ाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके चूर्ण और तेल को शीघ्रपतन दूर करने में उपयोग में लिया जाता है।

Monday 2 February 2015

दमा, श्वास रोग

1.खांसी : बच्चों की खांसी में अगर और ईश्वर मूल (ईश्वर की जड़) को पीसकर सीने पर लेप करने से आराम होता है।
 
2.`दमा, श्वास रोग`` : अगर का इत्र 1 से 2 बूंद पान में डालकर खिलाने से तमक श्वास से छुटकारा मिल जाता है।

दमा (श्वास) होने पर

1.पेट के रोग : छोटी पीपल और अकरकरा की जड़ का चूर्ण बराबर की मात्रा में पीसकर आधा चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम, भोजन के बाद सेवन करते रहने से पेट सम्बंधी अनेक रोग दूर हो जाते है।
 
2.दमा (श्वास) होने पर : अकरकरा के कपड़छन चूर्ण को सूंघने से ‘वास का अवरोध दूर होता है। 

सिर दर्द

सिर दर्द : अपराजिता की फली के 8-10 बूंदों के रस को अथवा जड़ के रस को सुबह खाली पेट एवं सूर्योदय से पूर्व नाक में टपकाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है। इसकी जड़ को कान में बांधने से भी लाभ होता है।
 
आधाशीशी यानी आधे सिर का दर्द (माइग्रेन) : अपराजिता के बीजों के 4-4 बूंद रस को नाक में टपकाने से आधाशीशी का दर्द भी मिट जाता है।

विष

विष पर :
जानवरों के काटने व सांप, बिच्छू, जहरीले कीड़ों के काटे स्थान पर अपामार्ग के पत्तों का ताजा रस लगाने और पत्तों का रस 2 चम्मच की मात्रा में 2 बार पिलाने से विष का असर तुरंत घट जाता है और जलन तथा दर्द में आराम मिलता है। इसके पत्तों की पिसी हुई लुगदी को दंश के स्थान पर पट्टी से बांध देने से सूजन नहीं आती और दर्द दूर हो जाता है। सूजन चढ़ चुकी हो तो शीघ्र ही उतर जाती है

अमर बेल

अमर बेल
 
1.खुजली : अमर बेल को पीसकर बनाए गए लेप को शरीर के खुजली वाले अंगों पर लगाने से आराम मिलता है।
 
2.पेट के कीड़े : अमर बेल और मुनक्कों को समान मात्रा में लेकर पानी में उबालकर काढ़ा तैयार कर लें। इस काढ़े को छानकर 3 चम्मच रोजाना सोते समय देने से पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।

Sunday 1 February 2015

बालों के रोग

बालों के रोग
1. चमेली के तेल को सिर में लगाने से सिर-दर्द ठीक हो जाता हैं।

2. चमेली के पत्ते, कनेर, चीता तथा करंज को पानी के साथ लेकर पीस लें, फिर इनकी लुगदी के वजन से 4 गुना मीठा तेल और तेल के वजन से 4 गुना पानी और बकरी का दूध लें, इन सबको मिलाकर पका लें। जब थोड़ा तेल ही बाकी रह जाये तब इसे उतारकर छान लें। इस तेल को रोजाना सिर पर लगाने से गंजेपन का रोग मिट जाता है।

मधुमेह

1. रात को 50 ग्राम काले चने दूध में भिगो देते हैं और सुबह के समय खाते हैं। चने और जौ को बराबर मात्रा में मिलाकर इसके आटे की रोटी पहले सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है। 2. केवल बेसन (चने का) की रोटी ही 10 दिन तक लगातार खाते रहने से पेशाब में शक्कर का आना बंद हो जाता है।

पेट में दर्द होने पर

1.पेट में दर्द होने पर : आमाहल्दी और कालानमक को मिलाकर पानी के साथ पीने से पेट के दर्द में आराम होता है।

2.उपदंश फिरंग) के रोग में : आमाहल्दी, राल और गुड़ 10-10 ग्राम, नीलाथोथा और गुग्गुल 6-6 ग्राम इन सबको मिलाकर पीस लें और बद पर बांधे इससे तुरन्त लाभ मिलता है।

वीर्य का नष्ट होना

1. मिर्गी (अपस्मार) होने पर : 14 से 28 मिलीलीटर ब्राह्मी की जड़ का रस या 3 से 6 ग्राम चूर्ण को दिन में 3 बार 100 से 250 मिलीलीटर दूध के साथ लेने से मिर्गी का रोग ठीक हो जाता है।
 
2. धातु क्षय (वीर्य का नष्ट होना) : 15 ब्राह्मी के पत्तों को दिन में 3 बार सेवन करने से वीर्य के रोग का नष्ट होना कम हो जाता है।

खुजली

1. चंदन के तेल को नींबू के रस में मिलाकर लेप करने से खुजली समाप्त हो जाती है।

2. दूध के अन्दर चंदन या नारियल का तेल और कपूर मिलाकर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।

कान का दर्द

1. चंदन का गुनगुना गर्म तेल कान में 2-3 बूंद डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

2. चंदन का तेल कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

मुंह के छाले


1. फोड़ा-फुंसी :अलसी के बीज तथा उसके एक चौथाई मात्रा में सरसों को एक साथ लेकर पीस लें। फिर लेप बनाकर लगाएं। 2-3 बार के लेप से फोड़ा बैठ जाएगा या पककर फूट जाएगा।

2. मुंह के छाले : अलसी का तेल छालों पर दिन में 2-3 बार लगाने से छालों में आराम होगा।

दही से लाभ

1. गंजेपन का रोग:- दही को तांबे के बर्तन से ही इतनी देर रगडे़ कि वह हरा हो जाए। इसको सिर में लगाने से सिर की गंजेपन की जगह बाल उगना शुरू हो जाते हैं।

2. अफारा (पेट में गैस का बनना):- दही की छाछ (दही का खट्टा पानी) को पीने से अफारा (पेट की गैस) में लाभ होता है।

सिर में दर्द

1. इलायची को पीसकर मस्तिष्क पर लेप करने से एवं बीजों को पीसकर सूंघने से सिर दर्द में राहत मिलती है।

2. पानी के साथ छोटी इलायची को पीसकर सिर पर लेप की तरह से लगाने से सिर दर्द खत्म हो जाता है।

3. छोटी इलायची को महीन पीसकर सूंघने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

4. पानी के साथ लाल इलायची के छिलकों को घिसकर सिर पर लेप की तरह लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।