Wednesday 31 December 2014

डकार आना

आज आपको ऐसी दवाई बताने जा रहा हु जो सभी के काम की है। ये एक ऐसी बिमारी है जिससे आज तक कोई नहीं बचा। छोटे बड़ो से लेकर सभी को एक शिकायत होती है और उसका नाम है "डकार आना"।  पेट में बनी गैस जब मुह से निकलती है तो उसे डकार कहते है।  कभी कभी डकार देने से खट्टी और तीखा पानी भी पेट के अंदर से गले में आजाता है। दोस्तों कुछ घरेलु उपाय हम ने आप को हमारे ब्लॉग में दिए है जिसके द्वारा आप घर बैठे इसका समाधान पा सकते है। दोस्तों अगर आप को ये सब करने के लिए समय नहीं मिलता हो या फिर आप के पास कुछ चीजे नहीं है जो दवाई बनाने के काम आती है तो आप को सोचने की जरुरत नहीं है। हमारे पास इस बीमारी की दवाई बानी हुयी है। आप घर बैठे आर्डर करके मंगवा सकते है। और इसका मूल्य @ डाक खर्च सहित ६५०/- रूपए है।

  • पोदीना के पत्ते है इमली को पीसकर खाने से खट्टी डकारे आना बंद हो जाती है।

  • मेथी के पत्तो को उबालकर दही के साथ रायता बनाके सुबह और दोपहर में खाने  से लाभ मिलता है। 
 
  • दारुहल्दी, नागरमोथा, अमला, शुण्ठ, बायडिंग, चित्रक, चन्दन, बहेड़ा, कालीमिर्च, देवदारु, हरड़, पीपलामूल, सोनामुखी इन सभी को ५०-५० ग्राम की मात्रा में लेना है और इसका चूर्ण बनाना है। ५० ग्राम मण्डूर को ४०० मिली देसी गाय के गोमूत्र में अच्छी तरह पका लेना है।  जब मण्डूर ५० ग्राम बाकि रह जाये तो ऊपर बनाया हुवा चूर्ण मिक्स करके रख लेना है और उकी छोटी छोटी गोलिया बनाना है। १ गोली बरगद के फल इतनी बड़ी होनी चाहिए। इस गोली को सुबह भूके पेट देने से लाभ होगा। 
 
  • देसी गाय के घी में कालानमक, हींग और अजवायन को भुने और सुबह शाम इसका सेवन करे। 
 
  • १ चम्मच पिसा हुवा जीरा सेककर १ चम्मच शहद में चाटने से लाभ मिलता है।


 

Friday 26 December 2014

बलगम, Cough, Kaf

नमस्ते दोस्तों
अभी सर्दी का मौसम होने के कारण हमें एक समस्या का बहोत खास तरीके से ख्याल रखना होता है और वह समस्या है कफ (बलगम) की। कफ यह हमारी छाती और फेफड़ो में जमा होता है। खांसने पे यह बहार निकलता है। कफ के कारन दमा की शिकायत भी हो सकती है। दोस्तों कफ एक फायदेमंद भी है और नुकसानदायक भी है। हम रोजाना सास अंदर बहार लेते है तो इससे धूल और मिटटी के कण नाक के रास्ते अंदर जाते है तो उस गन्दगी को चिपककर कफ द्वारा वह गन्दगी बहार फेंकी जाती है। कफ ज्यादा से ज्यादा सुबह ४-६ के बीच में ज्यादा परेशान करता है। दोस्तों कफ का प्रमाण शरीर में अगर ज्यादा हो जाता है तो ये नुकसानदायक है जैसे सास लेने में तकलीफ होना। छाती भरी भरी लगाना। छाती में खासते समय दर्द होना। इसलिए हम आप को कुछ आयुर्वेदिक घरेलु उपाय बता रहे है जिससे आपको इस कफ की समस्या से मुक्ति मिलेगी।  


१) सरसो के तैल में नमक डालकर मालिश करने से छाती में समायी बलगम निकल जाती है।

२) ५०० ग्राम सत्यानाशी के पंचांग का रस निकालकर उबालना है। जब राबड़ी की जैसा गाढ़ा हो जाये तब उसमे ५० ग्राम पुराना गूढ़ और २५ ग्राम राल मिलाके १ ग्राम का चौथाई भाग की गोलिया बनाके रखना है। दिन में ३ बार १-१ गोली लेने से दमा और कफ में आराम मिलेगा।

३) २० ग्राम बरगद की कोमल शाखाओ को बर्फ के पानी के साथ सेवन करने से कफ में आराम होता है।

४) बच्चे के छाती में अगर बलगम हो और उसे निकलने का कोई तरीका न हो तो रुद्राक्ष को घिसकर शहद के साथ चाटने से उल्टिया होती है और कफ बहार आता है ऐसा ५-५ मिनिट बाद करते रहे।

५) १५ तुलसी के ताजे पत्ते और १० कालीमिर्च को शहद के साथ पीसकर चाटने से गले में जमा बलगम बहार निकल जाता है ऐसा आपको दिन में ३ बार करना है।

Thursday 25 December 2014

Cough, Cold - Catarrh

सर्दी जुकाम और खांसी

जायफल :
चुटकीभर पिसा हुवा जायफल गरम दूध के साथ लेने से सर्दी काम हो जाती है l

मेथी :
१ चम्मच मेथी के बीजो को गरम दूध के साथ खाने से और सुबह शाम ताजे मेथी के पत्तो की सब्जी खाने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है।

अदरक :
१५ ग्राम अदरक को २०० मिली पानी में उबालना है जब २५ मिली पानी शेष रह जाये तब उसे उतारके छान लेना है। इस मिश्रण को खांड में मिलाकर १ कप दूध के साथ सुबह शाम लेने से सर्दी जुकाम और खासी में लाभ मिलता है।

इलायची :
इलायची को पीसकर रुमाल पे रखकर सूंघने से सर्दी और जुकाम ठीक होता है।

कपूर :
कपूर की टिकिया रुमाल में रखकर सूंघने से बंद नाक खुल जाती है और सर्दी में आराम मिलता है।


आयुर्वेदा जड़ी बूटी


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कुछ आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic Remedy for Stamina)

उदड़ की दालः-
घी के साथ उड़द की दाल को भूनकर और इसके अंदर दूध को मिलाकर तथा अच्छी तरह से पकाकर इसकी खीर तैयार कर लें। इसके बाद इसमें चीनी या खांड मिलाकर इसका इस्तेमाल करने से वीर्य में बढ़ोत्तरी होती है तथा संभोग करने की शक्ति भी बढ़ जाती है।

शतावरी का चूर्णः-
शतावरी के चूर्ण 20 ग्राम को 150 मिलीलीटर गाय के दूध के साथ मिलाकर 600 मिलीलीटर पानी के अंदर उबाल लें। उसके बाद केवल दूध बाकी रह जाने पर इसे आंच से नीचे उतारकर इसके अंदर चीनी या खांड मिलाकर इस दूध को पीने से सेक्स करने की शक्ति बढ़ जाती है तथा शिश्न (लिंग) में भी बहुत अधिक उत्तेजना आ जाती है।

आंवलाः-
100 ग्राम आंवले के चूर्ण को लेकर आंवले के रस में 7 बार भिगों लें इसके बाद इसे छाया में सूखने के लिए रख दें। इसके सूख जाने के बाद इसको इमामदस्ते से कूट-पीसकर रख लें। रोजाना इस चूर्ण को एक चम्मच (लगभग 5 ग्राम की मात्रा में) लेकर शहद के साथ मिलाकर चाट लें तथा इसके ऊपर से एक गिलास दूध पी लें। इसके सेवन करने से संभोग क्रिया में अजीब की शक्ति प्राप्त होती है।

सेमल की जड़ः-
5 मिलीलीटर से 10 मिलीलीटर के आसपास पुराने सेमल की जड़ का रस निकालकर व इसका काढ़ा बना लें तथा इसके अंदर चीनी मिला लें। इस मिश्रण को 7 दिनों तक पीने से वीर्य की बहुत ही अधिक बढ़ोत्तरी होती है।

विदारीकंदः-
6 ग्राम विदारीकन्द के चूर्ण में चीनी व घी मिला लें। इस चूर्ण को खाने के बाद इसके ऊपर से दूध पीने से वृद्ध पुरुष की भी संभोग करने की क्षमता वापस लौट आती है।

कौंच के बीजः-
तालमखाने तथा शुद्ध कौंच के बीज के चूर्ण को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर इसके अंदर दुगुनी मिश्री मिलाकर इसका चूर्ण बनाकर रख लें। रोजाना के समय में 2 चम्मच चूर्ण (लगभग 10 ग्राम के आसपास) को ताजे दूध के साथ मिलाकर खाने से सेक्स क्रिया करने की शक्ति सें आई कमजोरी भी नष्ट हो जाती है।

गोखरूः-
तालमखाने के बीज, गोखरू, शुद्ध कौंच के बीज, शतावरी, कंघी का जड़ तथा नागबला- इन सबको बराबर-बराबर की मात्रा में ले लें। इनको लेकर कूट-पीसकर इनका चूर्ण बनाकर रख लें। रात के समय में इस चूर्ण की 6 ग्राम की मात्रा को दूध के साथ प्रयोग करें। इस चूर्ण का सेवन करने से पुरुष की सेक्स क्षमता की कमजोरी दूर हो जाती है तथा व्यक्ति संभोग करने में काफी निपुण हो जाता है।

काले तिलः-
6 ग्राम गोखरू का चूर्ण और काले तिल 10 ग्राम को बराबर मात्रा में लेकर इसे 250 मिलीलीटर बकरी के दूध में उबालकर तथा उसे ठंडा करके शहद को मिलाकर खाना चाहिए। इसका सेवन करने से हैंडप्रैक्टिस (हस्तमैथुन) से यौन क्रिया में आई कमजोरी भी समाप्त हो जाती है।

इमली के बीजः-
10 ग्राम इमली के बीजों को लेकर उन बीजों को पानी में भिगोकर 4-5 दिनों के लिए रख दें तथा पाचवें दिन उन बीजों का छिलका उतारकर उनका वजन करके देखें। उनका वजन करने के बाद उनके वजन से दुगुना पुराने गुड़ को लेकर उन बीजों में मिलाकर रख दें। इसके बाद इन्हें बारीक पीसकर अच्छी तरह से घोट लें। तत्पश्चात इस मिश्रण की चने के बराबर बारीक-बारीक गोलियां बना लें। सेक्स क्रिया शुरू करने के 1 से 2 घंटे पहले दो गोलियों को खा लें। इसका सेवन करने से सेक्स शक्ति में अजीब की शक्ति आ जाती है।

नागौरी असगंधः-
500 ग्राम विधारा और 500 ग्राम नागौरी असगंध- इन दोनों को ले लें। फिर इसे अच्छी तरह से कूट-पीसकर तथा इसे छानकर रख लें। सुबह के समय रोजाना इस चूर्ण को 2 चम्मच खा लें। उसके बाद ऊपर से मिश्री मिला हुआ गर्म-गर्म दूध को पी लें। इस चूर्ण का इस्तेमाल करने से बुजुर्ग व्यक्ति भी जवानों के समान संभोग करने में निपुण हो जाता है।

वीर्य को बढ़ाने वाले तथा संभोग करने की कमजोरी को दूर करने वाले पदार्थ एवं भोजनः-
अगर हम इन पदार्थों का इस्तेमाल रोजाना तथा ठंड (सर्दी) के मौसम में करें तो संभोग करने की कमजोरी पैदा नहीं होती है। वे कुछ उपाय इस प्रकार से हैं-

भोजनः-
सर्दी के दिनों में गाय के दूध में मिश्री मिलाकर पीने से सेक्स करने की कमजोरी दूर हो जाती है।
मलाई व मिश्री मिलाकर खीर का सेवन करने से यौन दुर्बलता की समस्या दूर हो जाती है।
उड़द की दाल व बादाम का हलुवा खाने से यौन शक्ति की कमजोरी दूर हो जाती है।
छुहारे मिलाकर उबाला हुआ दूध पीना चाहिए।
गाय के घी का प्रयोग करना चाहिए।
गोंद के लड्डू तथा तिल के लड्डू को खाने से संभोग करने में आई कमजोरी दूर हो जाती है।

सूखे मेवेः-
रात के समय में 4-5 पीस बादाम को भिगोकर, 2 से 4 पीस अंजीर, नारियल की गिरी, छुहारे, तालमखाना. चिलगोजे, पिस्ता तथा 8-10 पीस मुनक्का, इसमें से किसी भी एक चीज का प्रयोग अपनी शक्ति के अनुसार करने से सेक्स क्षमता में आई कमजोरी दूर हो जाती है।

फलः-
चीकू, केला, मीठा अनार, आम, कच्चा नारियल एवं ताजे फलों का रस सेवन मौसम के अनुसार सेवन करने से यौन की दुर्बलता दूर हो जाती है।

अंकुरित अनाजः-
अंकुरित गेहूं, अंकुरित मूंगफली, अंकुरित मूंग तथा रिजका (अल्फाल्फा)- इनमें से किसी भी एक पदार्थ का भोजन के साथ या भोजन के बगैर अच्छी तरह से चबा-चबाकर प्रयोग करने से भी सेक्स क्रिया करते समय होने वाली कमजोरी दूर हो जाती है।

अन्य पदार्थः-
कैसर और दालचीनी का प्रयोग करने से भी यौन की दुर्बलता दूर हो जाती है।

जड़ी-बूटियां-
कौंच के बीज, विदारीकंद, सफेद मूसली, अश्वगंधा, गोखरू, नागबला, शतावरी, आंवला, तुलसी की जड़ तथा अकरकरा आदि आयुर्वेदिक ताकत को बढ़ाने वाली शक्तिशाली जड़ी-बूटियां है। इन औषधियों का कैसे तथा किस तरह से प्रयोग किया जाए इसके विषय में किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक से ही सलाह लेनी चाहिए।
आयुर्वेद एक ऐसी चिकित्सा है जिससे सेक्स की कमजोरियों को दूर करने के लिए एक ही नहीं अपितु बहुत से इलाज व उपाय हैं। सभी पुरुषों को ठीक करने के लिए अलग-अलग तरीके के इलाज हैं। ये सभी चिकित्सा उन लोगों के रहन-सहन व अन्य चीजों पर निर्भर करती हैं। इसलिए परिक्षित चिकित्सक से ही चिकित्सा कराने से अवश्य ही

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आयुर्वेदा जड़ी बूटी की ओर से प्यार भरा नमस्कार !!!
दोस्तों मेरे एक फेसबुक दोस्त ने मुझे अश्वगंधा के बारे में कुछ लिखने के लिए बोला है इसलिए मै आज की पोस्ट मेरे "अंकित शर्मा" नामक दोस्त के लिए सादर कर रहा हु और आप सभी के लिए भी सादर कर रहा हु। दोस्तों अश्वगंधा का झाड़ीदार पौधा ७०-८० से. मी. तक लम्बा होता है। इसकी जड़ अंदर से सफ़ेद, मोटी पतली और १०-११ से. मी. तक लम्बी होती है। इस की जड़ सुखाकर इसको औषधि के रूप में उपयोग में लायी जाती है। वैसे देखा जाये तो अश्वगंधा वनस्पति को बहोत सी बीमारियो पे दि जाती है। दोस्तों एक बात हमेशा याद रखना। कोई भी जड़ी बूटी का उपयोग करने से तुरंत रहत नहीं मिलती इसका एक कोर्स होता है। ये औषधि 2 दिन में भी सूट हो सकती है या 2 महीने भी लग सकते है। लेकिन दावा करता हु की इससे जरूर फायदा होगा। जड़ी बूटियों की दूकान से हम जो औषधीय खरीदते है वो एक बार हमारे डॉक्टर को जरूर दिखाए। इतना सबकुछ तो मै यहाँ लिख नहीं सकता लेकिन कुछ जरुरी बीमारियो के बारे में लिख रहा हु जिसका आप जरूर स्वागत करोगे।

कमरदर्द @ : अश्वगंध और सफ़ेद मूसली को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर सुबह शाम खाने से कमरदर्द ठीक हो जाता है।

मासिकधर्म की समस्या @ : ४० ग्राम अश्वगंध के चूर्ण में ४० ग्राम चीनी मिलाकर रख दे और रोज खली पेट १० ग्राम मसिख धर्म शुरू होने से १ हप्ते पहले सेवन करना है। जब मासिकधर्म आजाये तो इसका सेवन करना बंद करे।

वीर्य रोग @ : ३०० ग्राम अश्वगंधा को बारीक़ कर के चूर्ण बना ले। रोज सुबह २० ग्राम २५० मिली दूध में मिलकर उबाल ले। जब ये गाढ़ा हो जाये तो इसमें थोड़ी चीनी मिलाकर खाना है।

शरीर की शक्ति @ : अश्वगंधा, सौंठ, विधारा और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर churn बनाकर रख दे। रोज सुबह और शाम को १-१ चम्मच दूध के साथ लेना है। इससे आप को शक्ति मिलेगी।

उच्च रक्तचाप @ : ३ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, ५ ग्राम मिश्री, सूरजमुखी के बिज का २ ग्राम चूर्ण, १ ग्राम गिलोय का बारीक़ चूर्ण पानी के साथ दिन २-३ बार लेने से हाय ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।
संधिवात (जोड़ो का दर्द) @ : ३ ग्राम अश्वगंधा के चूर्ण को ४ ग्राम देसी घी में मिलाकर ऊपर से 2 ग्राम शक्कर मिलाके खाने से संधिवात की बीमारी दूर होती है।

टिप @ दोस्तों अगर वनस्पति ओरिजिनल हो तो ही आप को फायदा होगा। डुप्लीकेट दवाईयो से बचे !!


आपका दोस्त
आयुर्वेदा जड़ी बूटी
Khubusurat chehare ki dekhbhal
साफ और दमकती हुई त्‍वचा अक्‍सर लड़कियों का ख्‍वाब होता है। कई लड़कियों की इतनी साफ त्‍वचा होती है कि अक्‍सर उन्‍हें देखने वाले लोग चौंक जाते हैं। आप सोंचते होगें कि उन्‍हें ये त्‍वचा विरासत में ही मिली होगी और आप खुद के बारे में सोंच कर उदास हो जाती होगीं। पर ऐसा बिल्‍कुल भी नहीं है, किसी भी लड़की कि त्‍वचा चमकदार बन सकती है पर अगर उस पर लगातार ध्‍यान दिया जाए तो। आज हम कुदरती गुणों से त्वचा की देखभाल कैसे करे देखते है। फलों का आहार शरीर के लिए और लम्बी उम्र के लिए कारगर माना जाता है दूसरी ओर फलों का ताजा ताजा रस तो शरीर को चुटकियो में चुस्तिला फुर्तीला बना देता है। देखा जाये तो यही फल त्वचा की सुंदरता को और सुंदर बनाकर त्वचा कांतिमय बनता है। ऐसे कौन कौन से फल त्वचा के लिए उपयोग में लाये जा सकते है यही आज का विषय है।
खीरा :
खीरा यह फल तैलीय त्वचा के तेल को सामान्य रखने तथा कांतिहीन त्वचा में कांति लाने के लिए खीरे का रस प्रकृति की अनुपम देन है। इसका प्रयोग टोनिंग के तौर पर किया जाता है। खीरे का रस निकालकर चेहरे पर बार-बार लगाएँ। 10-15 मिनट बाद चेहरा ठंडे पानी से धो लें। खीरे के टुकड़ों को दूध में उबालकर मैश करें। अब पूरे चेहरे पर लगाकर आधे घंटे के लिए छोड़ दें। फिर ठंडे पानी से धो लें। यह एक बेहतरीन मास्क है, जो त्वचा में कसाव लाता है।
तरबूज :
यह फल गर्मियों के मौसम में लाभदायक है। यह प्रकृति प्रदत्त नमी देने वाला फल है। इसकी शीतलता, नमी अन्य फलों की अपेक्षा अधिक देर तक रहती है। झुलसी त्वचा के निशानों को मिटाने के लिए यह एक आदर्श फल है। फल के सफेद भाग का रस निकालकर उसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर चेहरे पर लगाएँ। सूखने पर फिर लगाएँ। ऐसा 10-15 मिनट तक करें। फिर ठंडे पानी से धो लें।
सेब : यह त्वचा का तेल कम करता है। सेब के एक बड़े टुकड़े की लुगदी बनाकर उसकी पतली तह चेहरे पर 10-15 मिनट तक लगाकर लेट जाएँ। फिर गरम पानी से चेहरा धो लें।
टमाटर :
दूसरे अन्य फलों की अपेक्षा टमाटर में अधिक विटामिन होते हैं। यह त्वचा को रेशमी, मुलायम बनाने में सहायक है। इसके प्रयोग से त्वचा के दाग-धब्बे धीरे-धीरे कम होकर मिट जाते हैं। टमाटर का रस, नीबू का रस, ग्लिसरीन समान मात्रा में लेकर मिलाएँ। हाथ-मुँह धोने के बाद इस मिश्रण से त्वचा की मालिश करें। आधे घंटे बाद गुनगुने पानी से धो लें।
बादाम : 
रूखी त्वचा के लिए उपयोगी। यह त्वचा को पोषकता एवं कोमलता देती है। एक कप ठंडा दूध लें। इसमें 1 औंस पीसा हुआ बादाम डालकर खूब फेंटें। फिर आधा औंस शकर उसमें मिला दें। फिर आहिस्ता-आहिस्ता मुँह, हाथ पर इसका लेप लगाएँ। 15 मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें।